Gold sasta bhav 2025: सोना चांदी के भाव में भारी गिरावट धड़ाम से गिर गई 22K, 24K और 18K की रेट, जाने कैसे हुई कीमत !!!

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Gold sasta bhav 2025 ::देश के बुलियन बाजार में हाल के दिनों में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। स्वर्ण और रजत की दरों में अप्रत्याशित कमी ने उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यापारियों को भी चौंका दिया है। यह मूल्य परिवर्तन उन लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है जो लंबे समय से कीमती धातुओं में निवेश की योजना बना रहे थे। विशेषकर उत्सव और विवाह के मौसम में यह घटनाक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।

सोना चांदी के भाव में गिरावट 

वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में बदलाव और अमेरिकी मुद्रा की मजबूती ने इस मूल्य गिरावट में प्रमुख भूमिका निभाई है। विश्लेषकों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनिश्चितता और केंद्रीय बैंकों की नीतियों में संभावित परिवर्तन ने इस स्थिति को जन्म दिया है। भारतीय बाजार में यह प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

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स्वर्ण मूल्यों में महत्वपूर्ण परिवर्तन

भारतीय बाजार में विभिन्न शुद्धता के सोने की दरों में उल्लेखनीय कमी आई है। वर्तमान में 22 कैरेट शुद्धता वाले स्वर्ण का मूल्य प्रति ग्राम ₹5,380 के आसपास पहुंच गया है। इसी प्रकार सबसे शुद्ध 24 कैरेट स्वर्ण की कीमत ₹5,870 प्रति ग्राम तक गिर गई है। यदि हम पिछले सप्ताह की तुलना करें तो यह गिरावट प्रति ग्राम ₹250 से ₹300 के बीच है। यह परिवर्तन केवल संख्यात्मक नहीं है बल्कि बाजार की मनोदशा में भी बदलाव को दर्शाता है। आभूषण खरीदने की योजना बना रहे लोगों के लिए यह समय बेहद अनुकूल हो गया है। व्यापारी भी इस मूल्य गिरावट से अपने स्टॉक को पुनः संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं।

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मूल्य गिरावट के प्रमुख कारण

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में कई कारक एक साथ मिलकर इस परिस्थिति का निर्माण कर रहे हैं। अमेरिकी डॉलर की विनिमय दर में वृद्धि ने कीमती धातुओं की आकर्षकता को कम कर दिया है। जब डॉलर मजबूत होता है तो निवेशक सुरक्षित पनाहगाह के रूप में सोने की बजाय अन्य विकल्पों को प्राथमिकता देते हैं। फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति में संभावित बदलाव की अटकलें भी बाजार को प्रभावित कर रही हैं। ब्याज दरों में परिवर्तन की संभावना ने निवेशकों को सतर्क बना दिया है।

इसके साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका ने भी मांग को प्रभावित किया है। विश्व के कई देशों में आर्थिक वृद्धि दर में कमी आने से औद्योगिक और व्यक्तिगत मांग दोनों पर असर पड़ा है।

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